गोसे अनन्त लाभ
>> Tuesday, August 24, 2010
गाय एक शाकाहारी प्राणी है। व मनुष्य जिस वस्तु को नही खाता है वह गाय के काम आती है। जैसे मानव तेल का उपयोग करता है तो उससे बची खली गाय के काम आती है। जैसे मानव गैहू का उपयोग करता ह। उससे बची भुची गाय के काम आती है। दाले मानव खाता है चीलके गायो के काम आ जाते है। इस प्रकार अनुउपयोगि वस्तुए खाकर गाय अपना पेट भरती है। इसके बदले मानव को अम`त सम्मान दुध घी व भूमि माता को पौशण के लिए गौबर व मात्र् देकर उसकी उर्वरा शक्ति बढाती हैजो एकगाय न्युन से न्युन दो सेर दूध देती हो और दूसरी बीस सेर तो प्रत्येकगाय के लिए ग्यारह सेर दूध होने में कुछ भी शंका नही इस प्रकार से एक मास में सवा आठ मन दूध होता है।
एक गाय कम से कम छः महिने और दूसरी अधिक अठारह महिने तक दूध देती है। दोने का मध्य भाग प्रत्येक गाय का दूध देने में बारह महिने होते है। दस हिसाब से बारह महिनो का दूध ११ मन होता है। इतनम दुध को औटाकर प्रतिसेर में एक छॅटाक चावल और डेढ छॅटाक चीनी उतलकर खीर बनाकर खाये तो प्रत्येक व्यक्ति लिए दो सेर दूध की खीर पुकल हो जाती है। क्योंकि यह भी एक मध्य भाग की गिनती है। अथार्त को भी दो सेर दूध की खिर खाये ओर न्युन कोई इस हिसाब से एक प्रसुता गाय के दूध से एक हजार नौ सौ अस्सी व्यक्ति तृप्त होते है।
एक गाय कम से कम छः महिने और दूसरी अधिक अठारह महिने तक दूध देती है। दोने का मध्य भाग प्रत्येक गाय का दूध देने में बारह महिने होते है। दस हिसाब से बारह महिनो का दूध ११ मन होता है। इतनम दुध को औटाकर प्रतिसेर में एक छॅटाक चावल और डेढ छॅटाक चीनी उतलकर खीर बनाकर खाये तो प्रत्येक व्यक्ति लिए दो सेर दूध की खीर पुकल हो जाती है। क्योंकि यह भी एक मध्य भाग की गिनती है। अथार्त को भी दो सेर दूध की खिर खाये ओर न्युन कोई इस हिसाब से एक प्रसुता गाय के दूध से एक हजार नौ सौ अस्सी व्यक्ति तृप्त होते है।
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