गौ सेवा का अनन्त फल

>> Tuesday, August 24, 2010

जो पुरुष गौओ की सेवा और सब प्रकार से उनका अनुगमन करता है उस पर संतुट हो कर गौए उसे अत्यन्त दुलर्भ वर प्रदान करती है। गौओ के साथ मनसे भी द्रोह न करे उनहे सदा सुख पहुचाए उनका यथोचित सत्कार करे ओर नमस्कार आदी के द्वारा उनकी पुजा करे। जो मनुय जितेन्द्रिय और प्रसचित होकर नित्य गौओ की सेवा करता है वह समद्विका भागी होता है।


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